बीते दिन का प्रतिवेदन ( 13-12-2020)
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यदि एक साल तक काम चलाना है तो चावल उगाओ । यदि दशकों तक सरलतापूर्वक जीवन यापन करना है तो वृक्ष उगाओ,और यदि शताब्दियों तक देश को चलाना है व संस्कृति को बचाना है तो देश के बच्चों को शिक्षित करो।" प्रसिद्ध चीनी कहावत
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प्रातः की शुरुआत 'पावर एंड ग्लोरी 'समूह द्वारा आयोजित अति मनभावन प्रार्थना से हुई । प्रार्थना में सम्मिलित सभी कार्यक्रम अति उच्च स्तर के रहे ।योगा सत्र में भ्रामरी, अलोम- विलोम ,कपालभाती आदि प्राणायामों द्वारा सभी सहभागियों ने स्वास्थ्य लाभ लिया । रचनात्मक उपस्थिति को शब्दों के विभिन्न भेद डालकर और भी सृजनात्मक व ज्ञान वर्धक बनाया गया। तत्पश्चात प्रशिक्षण शिविर निदेशिका श्रीमती भारती कुक्कल और शिविर संसाधक श्री नन्दकिशोर बलोदी, श्रीमती कविता पराशर और श्रीमती अर्चना के निर्देशन में सम्पूर्ण दिवस की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
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प्रथम सत्र की शुरुआत मोहम्मद रिज़वान ( मुख्याध्यापक के.वि. आई. आई. एम. लखनऊ) द्वारा की गई । श्रीमान जी ने 'बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान (ऍफ़. एल. एन.) विषय का ज्ञान बोध कराते हुए इसके विभिन्न पहलुओं पर खुल कर चर्चा की। बुनियादी शिक्षा देते समय होने वाली कठिनाइयों को साझा किया गया और किस तरह से इन कठिनाइयों से उभरना है, इस पर सभी प्रतिभागियों के विचार भी आमंत्रित किये गए। महोदय ने 'बुनियादी साक्षरता एवम संख्यात्मक ज्ञान' की आवश्यकता, इसकी पाठ्यक्रम अपेक्षाएँ, ELPS उपागम और इन सब उद्देश्यों को प्राप्त करने में अध्यापक का सहयोग आदि विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। वास्तव में यह सत्र काफ़ी ज्ञानवर्धक रहा।
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तत्पश्चात पन्द्रह मिनट के चाय ब्रेक के पश्चात द्वितीय सत्र आरम्भ हुआ । यह सत्र डॉ प्रशांत थापलियाल ( सहायक प्राध्यापक, आर्मी कैडेट कॉलेज,इंडियन मिलिट्री) द्वारा लिया गया । सत्र के विषय के रूप में ' देशभक्ति व राष्ट्रीयता की भावना का उत्प्रेरण' लिया गया । डॉ प्रशान्त ने जीवन के हर क्षेत्र में देश भक्ति की भावना का महत्व दर्शाया और प्राथमिक स्तर पर इसकी ज़रूरत पर विचार पेश किए । उनकी चर्चा के मुख्य बिंदु :-राष्ट्रीयता और देश भक्ति की परिभाषा,इनके विभिन्न रूप तथा 'भारतीय सुरक्षा बल और देशभक्ति ' रहे । प्राथमिक स्तर पर हम किस तरह से बच्चों के मन में देशभक्ति पैदा कर सकते हैं, इस विषय पर उन्होंने खुल कर बात की।
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दिवस का तृतीय स्तर श्रीमान जितेंद्र प्रताप सिंह द्वारा लिया गया। श्रीमान जी ने चर्चा का विषय ' समावेशी शिक्षा' को रखा।हमारे अतीत की याद ताज़ा करते हुए एक मार्मिक वीडियो द्वारा सत्र शुरू किया गया। तत्पश्चात दो और वीडियो दिखाए गए जिनको देखने मात्र से ही स्पष्ट हो जाता है कि 'समावेशन होता क्या है ? और एक अध्यापक अपनी कक्षा में इसे लागू करने के लिए क्या -क्या कर सकता है ? श्रीमान जी ने खुल कर समावेशन की ज़रूरतों पर प्रकाश डाला । विभिन्न शिक्षा नीतियों का ज़िक्र किया गया जहाँ समावेशी शिक्षा को लागू करने की बातें लिखी हैं। श्रीमान के अनुसार समावेशन एक दिमागी स्थिति है,एक सम्बन्धता है, एक अभिवृत्ति है । श्रीमान ने सार्वभौमिक अधिगम रचना तथा विभिन्न अधिगम अक्षमताओं पर विचार पेश किये । यह सत्र ज्ञान एवं कौशल से भरपूर रहा।
* तत्पश्चात शिविर संसाधको ने आनन्दवार योजना प्रारूप व पाठ्य सहगामी क्रियाओं पर प्रतिभागियों के सन्देह दूर किये ।
इसके पश्चात एक घण्टे तक दोपहर के भोजन के लिये समय दिया गया । बाद में समूह मीटिंग की गई तथा निर्धारित समय पर समूह कार्य पूरा करने के लिये योजनाएं तैयार की गई । ततपश्चात योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया ।
यह दिन सभी प्रतिभागियों के लिए बहुत ज्ञानवर्द्धक व फलदायी रहा।