बीते दिन का प्रतिवेदन (09-12-2020)
“कोई भी,जिसने सीखना छोड़ दिया चाहे उसकी उम्र बीस साल हो या अस्सी साल,वो बूढा है। कोई भी जिसने ज्ञान प्राप्त करना जारी रखा हुआ है वो युवा है।”~हेनरी फोर्ड
दिन की शुरुआत Power and Glory समूह द्वारा आनंदित सुबह की सभा से हुई। प्रार्थना में शामिल विभिन्न प्रस्तुति बहुत अच्छी थी, इनमें कोविड -19 पर आधारित प्रश्नोत्तरी और रचनात्मक उपस्थिति शामिल थी जो ज्ञानवर्धक थी।
दिन को प्रशिक्षण शिविर निदेशिका श्रीमती भारती कुक्कल के निर्देशन में मूल्यवान और ज्ञानपूर्ण सत्र के साथ आगे बढ़ायi गया।
पहला सत्र श्रीमती अर्चना जी और श्रीमान नंद किशोर बालोदी जी ने लिया। श्रीमती अर्चना जी ने हमारे जीवन में शिक्षा के महत्व और शिक्षा किस प्रकार विभिन्न मुद्दों को दूर करने में मदद करती है?, इस बारे में चर्चा की।* उन्होंने शिक्षा की बुनियादी बातों के बारे में भी चर्चा की जो प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने के दौरान वास्तव में महत्वपूर्ण है।
* बाद में नन्द किशोर बालोदी ने एन पी ई 2020 और इसकी चुनौतियों पर चर्चा की।श्री नंदकिशोर बालोदी जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सम्मिलित महत्वपूर्ण बिंदुओं को छूते हुए प्राथमिक विभाग में सम्मिलित पूर्व प्राथमिक कक्षाओं में अनुभव होने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसके साथ ही केंद्रीय विद्यालय में आयोजित भूतपूर्व प्रायोगिक योजनाओं को भी साझा किया।कंप्यूटर साक्षरता की शुरुआत के पीछे कारण पर चर्चा की गई।
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डॉ. लीना विज़ द्वारा बच्चों की सुरक्षा पर दूसरा सत्र लिया गया था।उन्होंने छात्रों की सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, मानसिक और शारीरिक कल्याण पर चर्चा की।माता-पिता और विद्यार्थी दोनों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर घर के काम का प्रभाव कैसे पड़ता है।वह कक्षा में पढ़ाते समय छात्रों को सकारात्मक सुदृढीकरण पर बल देती है। साइबर सुरक्षा पर उसने कुछ टिप्स दिए कि कैसे कंप्यूटर का उपयोग करते समय सुरक्षित रहें।
* उन्होंने यह भी बताया कि कैसे बच्चे अधिक असुरक्षित होते हैं और क्यों बच्चों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि छात्र की ऊर्जा को कैसे चैनलाइज़ किया जाए और हम उन्हें छिपी प्रतिभा दिखाने के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं।
* तीसरा सत्र श्री सजिला द्वारा लिया गया जो केवीएस, ZIET, ग्वालियर में कार्यरत प्रशिक्षण सहयोगी हैं।उन्होंने लैंगिक संवेदनशीलता पर सत्र लिया।लैंगिक भेदभाव पर चर्चा ,इसके कारणों और समाधानों पर हुई।शैक्षिक पिछड़ापन, जाति, धार्मिक विश्वास, कम आय, बेरोजगारी आमतौर पर लैंगिक भेदभाव की ओर ले जाती है।
* इस स्टीरियोटाइप सोच को शिक्षा, रोजगार, कानून आदि से दूर किया जा सकता है। हमारा संविधान लिंग, जाति, नस्ल आदि के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।अनुच्छेद 14 लैंगिक समानता सुनिश्चित करता है और यह एक मौलिक अधिकार भी है।शिक्षक और सीखने का माहौल भी उनके छात्रों की लैंगिक भूमिकाओं को प्रभावित करके लिंग भेदभाव को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।अंत में मैं कहूंगा कि ये सत्र वास्तव में हमारे लिए ज्ञान और फलदायी थे।बाद में हमने समूह बैठक में समूह के काम पर चर्चा की।
* सभी को धन्यवाद तथा आशा करती हूं आपका दिन मंगलमय हो!